प्रिय क्षेत्रवासियों,
शिक्षा जगत से जुड़े होने के कारण शिक्षा क्षेत्र में क्षेत्र के पिछड़ेपन का दर्द मुझे हमेशा सताता रहा। इसी कारण 1970-80 के दशक में, मैं अपने कुछ प्रतिभाशाली मित्रों एवं सहयोगियों के साथ मिलकर दिलदारनगर में एक महाविद्यालय की स्थापना का प्रबल प्रयास किया था, परन्तु किन्ही कारणों से सफलता नहीं मिल सकी थी।
सेवा काल में महाविद्यालय की स्थापना का सपना अधूरा रह गया, वह सेवा समाप्ति के पश्चात् अपने कुछ पुराने मित्रों, शुभ चिंतको एवं अपने योग्य एवं कुशल पुत्रों के सहयोग एवं सहायता से मैं इस महाविद्यालय की स्थापना एवं मान्यता प्राप्त करने में सफल हो सका जो आज आप के सामने है।
इस महाविद्यालय का मुख्य उद्देश्य, शिक्षा क्षेत्र में निर्धन एवं मेधावी बच्चे-बच्चियों को उच्च शिक्षा का उपयुक्त अवसर प्रदान कर क्षेत्र के पिछड़ेपन को दूर कर रोजगार से जोड़ना है। धनाभाव के कारण जो बच्चे-बच्चियाँ दूर के नगरों एवं महानगरों में उच्च शिक्षा प्राप्ति हेतु नहीं जा सकते। वह यहाँ स्वच्छ, निष्पक्ष एवं स्वतंत्र वातावरण में योग्य एवं कुशल प्रध्यापकों द्वारा कम खर्च में गाँव घर के विद्यालय से उच्च गुणवत्ता प्राप्त कर सकेगें। क्षेत्र की जनता से सहयोग एवं शुभकामना की अपेक्षा करता हूँ।